हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "सवाब अल आमाल" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال رسول الله صلی الله علیه وآله وسلم
مَن دَخَلَ السّوقَ فَاشتَرى تُحفَةً فَحَمَلَها إلى عِيالِهِ، كانَ كَحامِلِ صَدَقَةٍ إلى قَومٍ مَحاويجَ، وَليَبدَأ بِالإِناثِ قَبلَ الذُّكورِ
हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने फरमाया:
जो आदमी बाज़र जाए और कोई उपहार खरीद कर अपने परिवार वालों के लिए ले आए तो उसका सवाब उस आदमी की तरह है जो हाजतमंदों के लिए सदका लेकर जाए और उसे चाहिए कि वह पहले अपनी बेटियों को उपहार दे और फिर बेटों को,
सवाब अल आमाल,पेंज 239,हदीस नं 1